my village

my village
my village

Translate

मंगलवार, 14 अक्तूबर 2014

धर्म और सम्प्र्दायिकता

पूजा एक निजी विश्वास की पद्ध्ति है । हर धर्म के लोग , एक ईश्वर जिसे वह मानता है , उसकी पूजा करता है । अलग अलग जाति , गोत्र और परिवार की भी अलग - अलग पूजा पध्द्ति होती है । इस प्रकार का व्यक्ति धार्मिक कहलाता है , धर्मिक होना सम्प्रदायिक होना नही है । सम्प्र्दायिक तो वह तब बनता है जब उसी अपनी पूजा पध्द्ति सर्वश्रेष्ठ लगने लगती है , तब समझना चाहिये कि उसमे सम्प्र्दायिकता के बीज अंकुरित हो गये । फिर जैसे जैसे उसका अपने पूजा पध्द्ति पर घमंड बढते जाता है , वैसे वैसे सम्प्रदयिकता उसके अंदर पनपने लगती है । लेकिन जब वह इसका राजनीतिक इस्तेमाल करने लगता है तब वह सम्प्रदायवादी कहलाता है । और राजनीति का यह तरीका सम्प्रदायवाद कहलाता है । धार्मिक होना अलग बात है सम्प्रदायिक होना अलग बात है । धर्म का राजनीतिकरण करना ही सम्प्रदायिकता है ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Don't forget to share

पिछले पोस्ट

इन्हे भी देखे