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बुधवार, 1 अक्तूबर 2014

आरक्षण और योग्यता

आज सुबह एक मेरे मित्र ने मुझसे कहा की एस सी /एस टी को मुझे गाली देने का मन करता है क्योकि इनके वजह से हमको नौकरी नही मिल रही है , ये लोग हमारी नौकरी छीन रहे हैं इस देश मे हमारे लिये कुछ नही है, सरकार हर सुविधाये केवल एस सी/एस टी को ही दे रही है । मै जानता हूँ की यह उनके मन की उपज नही है बल्कि यह बात को मै कई बार सुन चुका हूँ । यह नफरत की राजनीति का हिस्सा मात्र है जिसमे यह बताकर कि तुम्हारा सारा हिस्सा ये एस सी / एस टी को दे दिया जा रहा है इस लिये तुम बेरोजगार हो , गरीब हो । इस प्रकार एस सी/एस टी के खिलाफ ज़हर भरा जा रहा है ।
अगर इनकी यह बात सच है की एस सी / एस टी दूसरे का हिस्सा भी छीन ले रहे हैं इसलिये बेरोजगारी है तो इस हिसाब से तो एस सी / एस टी अपने ज़नसंख्या जो की भारत की जनसंख्या का 23 % है उस से ज्यादा का देश के संसाधन (समपत्ति ) और नौकरी पर कब्ज़ा होना चाहिये क्या ऐसा है नही है जब उन्हे खुद अपना ही हिस्सा नही मिल रहा है दूसरो का हिस्सा क्या छीनेंगे । वैसे भी छीनने के लिये ताकतवर होना पडता है । मेरे मित्र को यह पता करना चाहिये की देश की सम्पत्ति आखिर मे किसके पास है और कौन धीरे धीरे जल जंगल जमीन पर कब्जा कर रहा है । मेरे मित्र को उससे लडना चाहिये लेकिन वो दबंग हैं पैसेवाले हैं उससे नही लड सकते कमज़ोर से लडना आसान है ।
अपनी बात को सही साबित करने के लिये उन्होने दूसरी दलील यह दी की योग्यता ही पैमाना होना चाहिये । मतलब अगर देखा ज़ाय की अगर एक मा के चार लडके हैं उनको रोटी का बराबर हिस्सा न देकर , रोटी को एक टेबल पर रख दिया जाय और चारो लडको को ये छूट दे दे की जो सबसे योग्य है वो ये रोटी खा ले । जब की छोटा भाई इतना छोटा है की वह टेबल तक पहुच ही नही पाता है । अगर मा को यह देख कर बुरा लग रहा है की सबसे छोटे को उसका अधिकार नही मिल रहा है और उसके बराबर हिस्सेदारी के लिये अगर मा उसे एक कुर्सी दे दे जिससे की वह अपने बाकि भाइयो के बराबर हो जाये तो बडे भाई को यह देखकर बहुत बुरा लगता है की मा छोटे भाई को ये सुविधा (आरक्षण )
क्यो दे रही है ।
अगर योग्यता ही पैमाना है तो फिर तो दुनिया का जो सबसे योग्य शासक है उसे ही भारत मे राज करना चाहिये । आप योग्यता किसे कहोगे एक भाई है जो सुबह उठकर घर का काम करता है , गाय चराता है अपनी रोजी रोटी के लिये पिताजी के साथ खेत मे काम करता है और उसके साथ साथ ही पढकर 60 % अंक लाता है जब की एक भाई है जिसको केवल पढ्ना है इस पढाई के लिये भी उसको हर विषय के अलग अलग शिक्षक है । पढने मे कोई तकलीफ न हो इसके लिये पंख़ा कूलर है । तबियत ठीक रहे इसके लिये फल जूस और तरह तरह की सुविधाये है इसके बाद वह 80% अन्क लाता है । कौन सबसे योग्य है।
अगर सबके लिये योग्यता का पैमाना एक रखना है तो सबके लिये लाईन (सामजिक- आर्थिक स्थिति ) एक रख्ननी होगी

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