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बुधवार, 1 अक्तूबर 2014

शिक्षा का बाज़ारीकरण

एक ज़माना था जब तब निम्न तबको पिछ्डे दलितो को शिक्षा का अधिकार नही था
शिक्षा केवल उच्च वर्णो के लोगो के लिये था अब देश मे लोकतंत्र आ गया है इसलिये अब कानूनी रूप से तो ऐसा नही कर सकते लेकिन ये साज़िश अब भी ज़ारी है कि कैसे पिछ्डो दलितो को शिक्षा से वंचित रखा जाये क्योकि उस समय के उच्च वर्ण को अनपढ मज़दूर की ज़रुरत थी जो बिना अपना अधिकार जाने और बिना अपने श्रम कीमत जाने मज़दूरी करते रहे । और आज़ के उच्च या कहे पूंजीपती वर्ग को भी ऐसे ही मज़दूर चाहिये जिससे मुनाफा अधिक कमाया जा सके । इसलिये शिक्षा व्यवस्था ही ऐसा बनाया जा रहा है कि निम्न वर्ग का आदमी इस रेस से बाहर हो जाये इसके कुछ उदाहरण मैंने समझा है आपसे साझा कर रहा हूँ ।
1. शिक्षा को अधिक से अधिक महगा किया जा रहा है जिससे यह गरीब की पहुच से दूर हो जाये ।
2. सरकारी स्कूल कालेजो को बदहाल किया जा रहा है ताकि ज़ल्द से जल्द ये बंद हो सके ।
3. सरकारी स्कूल मे कम वेतन और ठेके पर शिक्षक रखा जा रहा है ताकि निजि स्कूल से प्रतिस्पर्धा ही ना हो पाये ।
अब आप ही समझिये जिस शिक्षा व्यवस्था मे दो तरह से शिक्षा पध्दति होगी जिसमे एक तरफ निजि कार्पोरेट स्कूल मे पढे बच्चे होंगे और दूसरी तरफ सरकारी स्कूल मे पढे बच्चे होंगे । नौकरी और मेरिट किसे मिलेगा अब आप समझ सकते हैं। और जो बचेगा वो रोजी रोटी के लिये अपने श्रम को किसी भी कीमत मे बेचने को तैयार रहेगा । कार्पोरेट स्कूलो के ज़रिये एक एलीट क्लास बनाया जा रहा है । जिसका शासन प्रशासन और सभी संसाधनो पर एकाधिकार रहेगा और बाकि तबका इन लोगो के रहम पर जियेगा ।

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